पीएम ने विश्व कविता दिवस पर लॉन्च की अपनी कविताओें की ई-बुक, संघर्ष में पगी हैं कविताएं
देश डिजिटल इंडिया की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कविताओं के पाठक भला कैसे पीछे रहते. आखिर उन्हें भी तो डिजिटल क्रांति का साक्षी रहना है. तो हो गई शुरुआत..

उज्ज्वल भविष्य का प्रकाश-पुंज दिखाई देता है। यहाँ तप-तपस्या जैसे शब्दों का उपयोग नहीं है। यहाँ किसी देवात्मा का अधिष्ठान खड़ा नहीं किया गया है यहाँ तो उसके हृदय में विवेकानंद के कथनानुसार दरिद्रनारायणों की कामना ही झंकृत की गई है यह सत् शक्ति का मिलन है। मेरे नए उत्तरदायित्व के विषय में बाह्य वातावरण में तूफान लगभम थम गया है। सबका आश्चर्य, प्रश्न आदि अब पूर्णता की ओर है अब अपेक्षाओं का प्रारंभ होगा। अपेक्षाओं की व्यापकता और तीव्रता खूब होगी तब मेरे नवजीवन की रचना ही अभी तो शेष है। मुझे किसी को मापना नहीं है मुझे अपनी श्रेष्ठता सिद्ध नहीं करनी है। मुझे तो नीर-क्षीर के विवेक को ही पाना है। मेरी समर्पण-यात्रा के लिए यह सब जरूरी है। इसीलिए इस शक्ति की उपासना का केंद्र स्व का सुख नहीं बनाना है। माँ...तू ही मुझे शक्ति दे—जिससे मैं किसी के भी साथ अन्याय न कर बैठूँ, परंतु मुझे अन्याय सहन करने की शक्ति प्रदान कर। —इसी पुस्तक से श्री नरेंद्र मोदी केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि एक कविहृदय साहित्यकार भी हैं। यह ग्रंथ डायरी रूप में जगज्जननी माँ से संवाद रूप में व्यक्त उनके मनोभावों का संकलन है, जिसमें उनकी अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार स्पष्ट झलकते हैं। हृदय को स्पंदित करनेवाले मर्मस्पर्शी विचारों का अनंत सोपान है यह संकलन।
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भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एक कुशल प्रशासक, दूरदर्शी राजनेता, सहृदय कवि-लेखक के रूप में पूरे देश में लोकप्रिय हैं। सबसे लंबे समय तक गुजरात प्रदेश का मुख्यमंत्री रहना उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने प्रदेश के चहुँमुखी विकास हेतु अनेक जनोपयोगी योजनाएँ प्रारंभ कीं और इनके सफल कार्यान्वयन हेतु व्यक्तिगत तौर पर रुचि ली। उनके कुशल मार्गदर्शन में गुजरात में उन्नति और विकास के नए आयाम स्थापित होते देखकर बड़े पैमाने पर देशी-विदेशी निवेशक गुजरात में निवेश के लिए उद्यत हुए। अपनी अद्भुत कार्यशैली और दृढ़ निर्णयक्षमता से उन्होंने समाज के हर वर्ग पर अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व की अमिट छाप अंकित की है। राष्ट्र को एक नई दिशा देने के लिए कृतसंकल्प नरेंद्र भाई श्रेष्ठ प्रशासक और सुशासक के रूप में भारत की प्रथम पंक्ति में अग्रणी स्थान पर हैं। ‘विकास और केवल विकास’ ही उनके जीवन का मूल मंत्र है। गुजराती के अतिरिक्त हिंदी, पंजाबी, बंगाली, मराठी, अंग्रेजी भाषा जाननेवाले नरेंद्रभाई की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं, जो अनेक भाषाओं में अनूदित भी हुई हैं।
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